Blood groups की खोज किसने की ?
अगर हम खुली आंखों से रक्त को देखे तो वह एक जैसे ही दिखाई देते है , मगर ऐसा नहीं है। रक्त की चार किस्में होती है और यदि गलती से किसी रोगी को रक्त की गलत किस्म चढ़ा दी जाए तो उसकी प्रतिक्रिया बहुत खतरनाक हो सकती है और मृत्यु भी ही सकती है।
हमारा शरीर किसी भी बाहरी चीज के प्रवेश के विरूद्ध प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। एंटी जींस के तौर पर काम करने वाले दो तरह के कण रक्त कोशिकाओं पर मौजूद हो सकते है , जिनके परिणामस्वरूप चार विभिन्न किस्मों के रक्त समूह बनते है
एक किस्म के कणो को वहन करने वाली रक्त कोशिकाए (A) ,अन्य किस्म के कणो को वहन करने वाली कोशिकाए (B), जो दोनों का वहन करती है (A.B.) तथा जो किन्हीं कणो को वहन नहीं करती (O) ।
स्वाभाविक है कि A किस्म B किस्म के खून को सहन नहीं कर सकती और B किस्म A किस्म के खून को सहन नहीं कर सकती। A.B किस्म किसी भी किस्म के रक्त को ग्रहण कर सकती है जबकि सभी किस्में O किस्म को ग्रहण कर सकती है। यह महत्वपूर्ण खोज कार्ल लैंडस्टिनर ने कि थी जो अमेरिका के वैज्ञानिक थे।
कार्ल लैंडस्टिनर का जन्म ऑस्ट्रेलिया के वियना में 14 जून 1868 को हुआ था उस समय ऐसा माना जाता था कि मनुष्य में 2 तरह के रक्त होते है एक अच्छा और एक बुरा रक्त। आमतौर पर सर्जरी के दौरान या जब घायल व्यक्ति का रक्त बहुत ज्यादा बह गया हो,तब रक्त चढ़ाना आवश्यक हो जाता है लैंडस्टिनर की खोज यह बताती है कि क्यों चढ़ाने से पहले रक्त कि किस्मों को मैच करना आवश्यक होता है।
लैंडस्टनर के इस महत्वपूर्ण खोज के लिए 1930 में इन्हे शरीर विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इतना सम्मान व ख्याति प्राप्त करने के बाद भी लैंड स्टिनर ने आराम नहीं किया उन्होंने रक्त कि किस्मों पर अपना शोध जारी रखा और 9 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद 2 सूक्ष्म अतंरो , R.H.+79 तथा R.H.-79 (R.H factor) को खोज लिया और इस प्रकार रक्त के किस्मों कि खोज हुई।
0 Comments
If you have any doubt then you can comment us