गिरगिट रंग कैसे बदलती है आइए जाने
आप सभी ने गिरगिट को तो देखा ही होगा जब भी उसे कोई आवाज या खतरा महसूस होता है तब वह रंग बदलता है हम सभी तो जानते है कि गिरगिट रंग तो बदलते है परन्तु कैसे आइए जाने।
रंग कैसे बदलती है गिरगिट
आपने यह तो जरूर सुना होगा कि गिरगिट में अपना रंग बदलने कि खूबी होती है कोई भी खतरा होने पर गिरगिट अपना रंग बदल लेती है पर क्या आप जानते है वह ऐसा कैसे करती है?
गिरगिट अपना रंग अपने आस-पास की चीजों के अनुसार बदल लेती है रंग बदलने की यह खूबी गिरगिट को उसके दुश्मनों से बचाने में काम आती है उसका रंग बदलना उसकी त्वचा में उपस्थित क्रोमाटोफोरस नामक सैल के कारण होता है । ये सैल गिरगिट के मस्तिष्क से नियंत्रित होते है जब मस्तिष्क को खतरा महसूस होता है तो वह खतरा भाप कर कोशिकाओं को फैलने और सिकुड़ने के लिए निर्देश देता है और क्रोमाटोफोरस अपना आकार बदलते है इन सैलो में भूरे , पीले , काले , सफेद रंग के रंजक होते है और इन्हीं रंजकों के कारण गिरगिट का रंग बदल जाता है और यह आस पास के वातावरण में घुल मिल जाता है।
आपने देखा होगा कि गिरगिट कभी कभी पेड़ की पत्तियों के जैसा रंग बना लेते है जिससे हमें कई बार पता ही नहीं चलता कि असल में वह क्या है पत्तियां या कुछ और इन्हीं रंगो का उपयोग करके गिरगिट अपना शिकार भी करते है ।
माइक्रोवेव कैसे काम करता है
कुछ समय पहले हम खाना लकड़ियों से उसके बाद गैस का उपयोग करके बनाते है जैसे जैसे तकनीक बढ़ती गई काम को आसान करने के लिए मार्केट में कुछ न कुछ नई चीजे आती रहती है उन्हीं में से एक है माइक्रोवेव ।
आजकल खाना गर्म करने से लेकर पकाने तक के लिए माइक्रोवेव का खूब इस्तेमाल होता है क्युकी यह खाने को जल्दी पकता/ गर्म करता है आइए जाने यह काम कैसे करता है ।
जब किसी भोजन को माइक्रोवेव में रखा जाता है तो उस पर माइक्रोवेव तरंगे गिरने लगती है इन तरंगों में कुछ प्रकाश तरंगे और कुछ एक्स तरंगे होती है।ये तरंगे इलेक्ट्रिक रूप में होती है।
ये भोजन में उपस्थित अणुओं को शक्ति प्रदान करती है और ये अणु एक दूसरे से टकरा कर ऊर्जा उत्पन्न करते है इस प्रक्रिया में काफी अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है और इन्हीं ऊर्जा के कारण खाना जल्दी गर्म हो जाता है।
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