चमगादड़ कानों से भी देखते है जाने ।

 आइए जाने चमगादड़ के बारे में जो कि अंधे होते है।

Bat ear se bhi dekhte hai


  चमगादड़ को तो सभी लोगो ने देखा होगा  जो एक mouse की तरह दिखता है आप को बताना चाहूंगा कि ये चमगादड़ अंधे होते है लेकिन अपने कान कि मदद से सब कुछ देख पाते है मतलब कि सुन पाता है और इसी से एक तरह से कहे तो देखता भी है। चमगादड़ उड़ते समय उच्च आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगे छोड़ते है और उनकी प्रतिध्वनि से वे रास्ते कि रुकावटों को चिन्हित करते है। ध्वनि की तीव्रता और अपने दोनों कान की क्षमताओं का उपयोग कर चमगादड़ रास्ते की रुकावटों और शिकार कि स्थिति का ठीक-ठाक अंदाजा लगा लेते है।

  चमगादड़ लक्ष्य को तय करने में अपने दोनो कानों का ज्यादा उपयोग करते है। जब प्रतिध्वनि एक विशेष दिशा से आती है तो उसके एक कान से टकराने और फिर दूसरे कान तक पहुंचने के बीच सेकंड के एक हिस्से का अंतर होता है।इस प्रकार तरंगों के पहुंचने में अंतर के कारण ये दोनों थोड़ी अलग-अलग सुनाई देती है।

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चमगादड़ के संवेदी कान :- 

   हम सभी जानते है कि ध्वनि हवा के संपिड़न एवं विरलता कि तरंगों के रूप में गति करती है ध्वनि तरंगे दोनों कानों में अलग अलग समय पर पहुंचती है। चमगादड़ का मस्तिष्क इस अंतर के प्रति 

संवेदी होता है और इसके द्वारा ही वह प्रति ध्वनि के स्रोत कि सही दिशा और स्थिति का पता कर लेते है,जब लक्ष्य की दूरी कम हो जाता हो तो ऐसे में दोनों कानों तक पहुंचने वाली ध्वनि की आवृत्ति अधिक होनी चाहिए।

चमगादड़  की आवाज 30,000 चक्र प्रति सेकंड से अधिक की आवृत्ति वाली होती है , जिसकी तरंग लंबाई लगभग 1 C.M होती है।


आवाज की गति :-

  मार्ग निर्देशन के लिए चमगादड़ अलग अलग प्रकार की ध्वनियों का प्रयोग करता है। उच्च आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगे समय समय पर भेजी जाती है , छोटी वस्तुओं के लिए अधिक आवृत्ति की तरंगों का प्रयोग किया जाता है क्योंकि उनमें अधिक विभेद करने की आवश्यकता होती है। यह अविश्वसनीय है कि चमगादड़ अंधेरे में पूरी गति से उड़ते किट का अंदाजा लगा लेते है।

  विज्ञान अब इसी प्रकार की you क्षमता मनुष्यो में भी विकसित करने का प्रयास कर रहे है। हालांकि इस क्षमता का उपयोग हम रोजाना करते है जब हम पीछे अथवा एक तरफ से आ रही आवाज को पहचान कर उस ओर देखते है चुकी हम अपनी सुनने की क्षमता की आवृत्ति की तरंगों का ही प्रयोग कर सकते है इस कारण हम इस क्षमता का अधिक इस्तेमाल नहीं कर पाते।

 लीड्स यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार चमगादड़ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तरंगे पैदा की गई है और उनसे उत्पन्न प्रति ध्वनि को मानवीय आवाज़ों में बदला गया इस ध्वनि को अब इयरफोन में  डाला गया ,इस प्रकार की आवाज की सहायता से लोग वस्तुओं कि दिशा तेजी से पहचानने में सफल हुए। इस तरह की क्षमताओं का उपयोग कई जगहों पर किया जा सकता है , जैसे नक्शा देखते समय वाहन चालक आपने कान का उपयोग बेहतर कर सकता है इसके साथ ही चालक मंद रोशनी में गाड़ी चलाने और सैन्य कार्रवाई में भी इसका उपयोग हो सकता है।


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