सुई-धागे में अपना career कैसे बनाए ?

 सुई-धागे में अपना career कैसे बनाए ?

needle thread

  भारत अपनी कला-संस्कृति के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। उसमें सबसे ज़्यादा मशहूर है कढ़ाई, चाहे वह रूमाल पर हो या साड़ी पर। सूती कपड़ों, चादर व तकियों पर हाथ से की गई कारीगरी शायद ही कहीं देखने को मिलती हो। मेहनत से किए गए इस महीन काम को जैसे भुला ही दिया गया था। परन्तु पिछले कुछ वर्षों में हाथ से की गई कारीगरी का फैशन फिर से दिखने लगा है। आज परिधानों पर की जाने वाली कढ़ाई पर भले ही मशीनों का कब्जा हो गया हो लेकिन फैशन की दुनिया फिर से जिंदा कर दिया है। भारत के साथ-साथ अब विदेशों में भी हस्त शिल्पकलाओं की काफी मांग है।


क्या होती है हाथ की कढ़ाई

Hand embroidery

   हाथ की कढ़ाई का मतलब है रंग-बिरंगे धागों के साथ कपड़े पर कुछ ऐसे डिजाइन बनाना, जो उसकी सुंदरता में चार चांद लगा दें। आज भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह की कढ़ाई की जाती है,जैसे आंध्र प्रदेश में बंजारा कढ़ाई ,गुजरात में अहीर कढ़ाई कपड़े कि बनावट कढ़ाई की सही प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हस्त शिल्पकला सदियों से दुनिया भर के लोगों को आकर्षित व मोहित करती आ रही है।


कपड़ा और कढ़ाई का बढ़ता भारतीय बाजार

Yarn

   भारत की बात की जाए तो टैक्सटाइल उद्योग भारत का सबसे पुराना उद्योग है। कृषि उद्योग के बाद टैक्सटाइल उद्योग भारत का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला उद्योग है, जिसमें अब तक 3.50 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं। भारतीय कपड़ा और परिधान बाजार का आकार वर्तमान में लगभग 108 बिलियन अमरीकी डॉलर है, जो कि 2023 तक 226 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यदि हम कढ़ाई की बात करें तो यह परिधान क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण से एक है और इस पारंपरिक कारीगरी में पिछले कुछ सालों में काफी तेजी से वृद्धि हुई है। भारतीय कढ़ाई बाजार प्रतिवर्ष 20 % की दर से वृद्धि कर रहा है।

  ग्रामीण भारतीयों के बीच आय के हिसाब से क्राफ्ट सैक्टर दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है। अनुमान है कि इस क्षेत्र में देश भर में 70 लाख कारीगर कार्य करते हैं, जिनमें से 50 प्रतिशत के पास कोई औपचारिक शिक्षा नहीं है । क्राफ्ट कम्यूनिटी में महिला कारीगर एक अहम भूमिका निभाती हैं और कई क्राफ्ट्स में उनकी भूमिका तकनीकी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।क्राफ्ट कम्यूनिटी में 90 प्रतिशत महिलाएं अशिक्षित हैं क्योंकि क्राफ्ट में रोजगार अनऑर्गनाइज्ड है और आय भी बहुत कम है।


  सरकार द्वारा उठाए गए कदम

   सरकार ने भी कारीगरों के लिए बाजार में उपलब्ध अवसरों को बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं।हस्तशिल्प और हथकरघा के लिए डिवैल्पमैंट कमिश्नर ने असंख्य एम्पोरियम स्थापित किए हैं, जहां शहरी खरीदारों के लिए क्षेत्रीय क्रापट प्रदर्षित किए जाते हैं। देश के कुछ हिस्सों में वीवर्स सैंटर्स भी काफी ज्यादा है जहां हथकरघा बुनकर बाजार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं


नौकरी का संक्षिप्त विवरण

Threads reel

  कारीगर सूई व धागे की मदद से अपने हाथों से कपड़े पर डिजाइन बनाता है। विभिन्न प्रकार की सिलाई तकनीकों का उपयोग कर कपड़े को एक अलग रूप देता है।इस रोजगार में प्रवेश के लिए ये व्यक्तिगत गुण होने अनिवार्य हैं

(1) आंखों की रोशनी अच्छी होनी चाहिए।

(2) काम करने के लिए हाथों में सफाई होनी चाहिए।

(3) रंगों को पहचानने की कला होनी चाहिए।

(4) फोकस बदलने की क्षमता रखता हो।

(5) हाथों और आंखों का बेहतर तालमेल हो।


नौकरी में प्रवेष की न्यूनतम आयु :- नौकरी में प्रवेश के लिए 18 साल की आयु अनिवार्य है।

नौकरी के लिए अनुभव :- सिलाई-कढ़ाई के काम में 1-2 साल का अनुभव होना चाहिए।

न्यूनतम शिक्षा योग्यता :- इस नौकरी में प्रवेश के लिए

न्यूनतम शिक्षा योग्यता 5वीं कक्षा है।

कोर्स को करने की समयावधि :- इस कोर्स को करने की समय अवधि 200 घंटे है।

कोर्स पूरा होने के बाद रोजगार के अवसर :- कोर्स पूरा होने के बाद व्यक्ति किसी फैक्ट्री में काम कर सकता है और अपनी खुद की दुकान भी खोल सकता है।

सैलरी पैकेज :- इस नौकरी में व्यक्ति 8000-8500 रुपए प्रति माह तक कमा सकता है।


  

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