कीवी उगाएं, लाभ कमाएं ।

             कीवी उगाएं, लाभ कमाएं 

Kivi

  कीवी मध्यपर्वतीय क्षेत्रों में लगने वाला फल है। कीवी का पौधा 40 वर्ष से अधिक समय तक फल देता है और हर साल इसमें बराबर फल लगते हैं। यह औषधीय गुणों का खजाना है। कीवी कैंसर, डेंगू, हार्ट के रोगियों के लिए भी अत्यंत गुणकारी माना जाता है।कीवी को चाइनीज गूजबेरी भी कहा जाता है। देश में सबसे पहले वर्ष 1960 में लाल बाग बैंगलूरू में सजावटी पौधे के तौर पर किवी को लगाया गया था, वहां पर्याप्त ठंड न मिलने के कारण इसमें किवी फल नहीं लगे। 1963 में कुछ एलिसन किस्म के नर व मादा पौधे अमरीका से आयात किए गए और हिमाचल प्रदेश में आई.सी.ए.आर. शिमला में फागली उपकेंद्र पर किवी के पौधों को लगाया गया। किवी के पौधों में कुछ फल 1969 व 70 में लगे । बाद में कीवी की हाबर्ड, ब्रूनो, मोंटी, एबट की मादा किस्में और तमूरी की नर किस्म न्यूजीलैंड से आयात की गई।

   कई किसानों ने किवी की खेती से अच्छा लाभ कमाया है। हिमाचल में सिरमौर जिले के गांव थलेड़ी की बेड़ के नरेंद्र पंवर ने बताया कि उन्होंने अपने भाई जगदेव पंवर के साथ मिल कर कीवी की व्यावसायिक खेती की। दिसम्बर 1993 में किवी के 180 पौधे लगाए। इसमें किवी की पांच प्रजातियों के पौधे थे। नरेंद्र पंवर के मुताबिक उन्हें शुरू में मार्केटिंग की बहुत परेशानी आई, लोग किवी के फल के बारे में जानते तक नहीं थे । उन्होंने पहले-पहले चंडीगढ़ और पंजाब की मंडियों में कीवी के फल को भेजा लेकिन उन्हें कोई ज्यादा लाभ और वृद्धि नहीं मिला। पिछले करीब 2 दशकों से वे कीवी दिल्ली की मार्केट में भेज रहे हैं, जहां अच्छे दाम मिल रहे हैं। दक्षिण भारत से भी उनके पास कीवी की डिमांड आ रही है जिसकी भरपाई फिलहाल वे नहीं कर पा रहे हैं। नरेंद्र पंवर ने बताया कि वे प्रतिवर्ष 100 से 130 क्विंटल कीवी का उत्पादन कर रहे हैं। साल में वे 10 से 12 लाख रुपए कि कीवी बेचते हैं। उनके बगीचे में इस बार बंपर पैदावार है।

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  मध्यपर्वतीय क्षेत्र जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से 900 से 1800 मीटर है, इसकि बागबानी के लिए उपयुक्त पाए गए हैं।कीवी के पौधों को फलने के लिए लगभग 600 से 800 घंटों की चीलिंग रिक्वायरमैंट होती है । वर्तमान में हिमाचल में इंटरनैशनल ग्रेड का कीवी तैयार हो रहा है। आज हिमाचल प्रदेश भारत का कीवी फल उत्पादन करने वाला अग्रणी राज्य है। यह फल अक्तूबर से दिसम्बर के बीच फैस्टिवल सीजन के दौरान पक कर तैयार होता है। इस समय भारत की मंडियों में अन्य फल कम होते हैं। भारत में किवी में किसी गंभीर रोग अथवा कीट का प्रकोप नहीं देखा गया है। इसलिए कीटनाशकों या अन्य दवाइयों का छिड़काव नहीं करना पड़ा। इससे यह फल स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी लाभदायक माना जाता है।

  कीवी के पौधे में नर और मादा फूल आते हैं। इसकी प्रमुख मादा किस्में हैं हैबर्ट, एबट,एलिसन, बरूनो और मोंटी, जबकि नर किस्में हैं एलिसन और तमूरी। यहां एलिसन किस्म के किवी सबसे बेहतर पाई गई है इसमें फल ज्यादा लगते हैं और किवी स्वाद में भी अच्छा है।किवी फल के पौधों में अच्छी पैदावार रोपण के पाच साल बाद शुरू होती है। व्यावसायिक स्तर पर 8 से 10 साल का समय लग जाता है। इस फल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें हर साल बराबर का फल आता है। एक पौधा साल में औसतन 50 किलोग्राम फल देता है।

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  डा. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी, नौणी के फ्रूट साइंटिस्ट डिपार्टमेंट के प्रधान वैज्ञानिक व कीवी पर 2 दशकों से कार्य कर रहे डा. विशाल राणा ने बताया कि कीवी फल मध्यपर्वतीय क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त है। इसे एक बार लगाने से 40 साल से अधिक समय तक फल लिया जा सकता है। नौणी विश्वविद्यालय में ही 37 साल पुराना किवी का बगीचा है, जो अच्छी पैदावार दे रहा है। किवी के पौधे में हर साल एक बराबर फसल आती है और इसकी मार्कीट में डिमांड बहुत अधिक है। 


 


 


 


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