माईकल फैराडे जिन्होंने चुंबकत्व के रहस्यों से पर्दा उठाया।

  माईकल फैराडे जिन्होंने चुंबकत्व के रहस्यों से पर्दा उठाया।

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  माइकल फैराडे को विज्ञान में गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त थी। यद्यपि विज्ञान में कुछ औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए फैराडे ने एक विनम्र सहायक के तौर पर सर हम्फ्रे डेवी का हाथ थामा, उन्होंने लगन के साथ कार्य किया और निरंतर प्रगति कर सन 1833 में रॉयल इंस्टिच्यूट में रसायन के प्राध्यापक हो गए। वह कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करने में सफल हुए। उनकी दुर्लभ दूरदृष्टि ने उन्हें चुंबकत्व में खोज करने के योग्य बनाया, जैसे कि चुंबकत्व तथा विद्युत के बीच संबंध तथा एक विद्युतअपघट्य (इलैक्ट्रोलाइट) पर विद्युत का प्रभाव।इससे भी अधिक, उनकी खोजों के दूरगामी प्रभाव पड़े।

  फैराडे ने खोज की कि तारों के गुच्छे या कुंडल में घूमता चुंबक विद्युत पैदा कर सकता है। इसे और तेजी से घुमाने पर और अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। वह डायनमो (एक इलैक्ट्रिक मोटर) तथा ट्रांसफॉर्मर भी बनाने में सफल रहे। वह यह दिखाने में कामयाब रहे कि एक आयनिक घोल (आयोनिक सॉल्यूशन) में से विद्युत गुजारने पर इलैक्ट्रॉड्स पर से आयन अलग हो जाते हैं । यह इलैक्ट्रोप्लेटिंग की शुरुआत थी।

  फैराडे ने ये सभी उपलब्धियां 40 की उम्र पार करने से पहले ही प्राप्त कर ली थीं। फैराडे की महानता यह थी कि वह ' कैसे ' तथा ' क्यों' को लेकर चिंतित रहते थे। यह उनका चीजों के बारे में जानने को उत्सुक मन कि चुंबकीय क्षेत्र में रेखा ध्रुवित प्रकाश का घुमाव, आदि विषयों में भी फैराडे ने योगदान किया। समाज में विज्ञान के प्रसार को लेकर उनकी चिता सराहनीय थी। अनेक द्वारा लिखी गई पुस्तक , जिनमें से सबसे उपयोगी पुस्तक विद्युत में प्रायोगिक गवेषणाएं' (Experimental Researches in Electricity) है।

  फैराडे जीवन भर अपने कार्य में जुटे रहे। वह इतने विनम्र थे कि कोई पदवी या उपाधि स्वीकार न की। रॉयल सोसायटी के अध्यक्ष पद को भी अस्वीकृत कर दिया। मेहनत एवं लगन से कार्य कर, महान वैज्ञानिक (scientiest) सफलता प्राप्त करने का इससे अच्छा उदाहरण वैज्ञानिक इतिहास में नहीं मिलेगा। सर हम्फ्रे डेवी भी फैराडे को अपनी सबसे बड़ी खोज मानते थे।


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