आईए जाने की साबुन किस चीज से बनता है और इसका निर्माण कैसे हुआ।
साबुन के बिना आज के युग में आप नहाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। आज के समय में साबुन स्वच्छ रहने के लिए एक जरूरी वस्तु बन चुका है। सवाल यह है कि आखिर इसकी खोज कब की गई ?
ऐतिहासिक तौर पर साबुन को लकड़ी की राख (wood ash) को चर्बी के साथ मिलाकर इसे उबाल (boil) कर बनाया गया । शुरू में साबुन का उपयोग कपड़े को धोने के लिए किया जाता था। 2800 और 600 बी.सी. तक बेबिलोनियन और फिनिशयंस ने साबुन बनाने की शुरुआत की। चर्बी को 2 हिस्सों ग्लिसरीन (Glycerin) और वसायुक्त (fatty) एसिड में अलग कर अलकली की प्रक्रिया की जाती है ताकि अलकली में sodium और potassium को चर्बी (fat) या तेल के मिश्रण (mix) में मिलाया जा सके और फिर साबुन बनाया जा सके।
कई सदियों (centuries) से साबुन को पोटाश और पर्ल लैश लाई के मिश्रण से बनाया गया था। दोनों ही पौधों में पाए जाने वाले पोटाशियम पर आधारित (based) थे। साबुन बनाने का पहला प्रमाण (proof) पुरातन रोम में पाया गया रोम में साबुन बनाने की फैक्टरी की खोज की गई। रोम के लोग नहाने और कपड़े धोने के लिए इन्ही साबुन का इस्तेमाल करते थे।
आमतौर पर साबुन के निर्माण की जिम्मेदारी महिलाओं की थी। शुरू-शुरू में तरल (liquid) साबुन का इस्तेमाल किया गया ताकि सख्त (Strict) साबुन बनाया जा सके | साबुन बनाने की प्रक्रिया (process) के अंत (Ending) में नमक मिलाया जाता था।
इसी करण यह महंगा हुआ करता था। हालांकि कठोर साबुन को संरक्षित (protect) करके रखना और इधर से उधर ले जाना आसान था। इसे अमरीका में बिक्री के लिए भेजा गया। आज वर्तमान में साबुन को कास्टिक सोडे (Sodium hydroxide) से बनाया जाता है । 1971 में निकोलस लैबलेन ने नमक में से सोडा राख बनाने की खोज की।
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