इशारोंं (Sign language) वाली भाषा को किसने खोजा।
मूक-बधिर यानी बोल या सुन न सकने वालों के लिए सांकेतिक भाषा किसी चमत्कार से कम नहीं। यह उनके विचारों को जाहिर करने में मदद करती है । हाव-भाव के जरिए, हाथ के आकारों और उंगलियों से वे अपनी बात समझा सकते हैं।
कुछ वैज्ञानिक मानव जाति को ही पहली सांकेतिक भाषा का खोजकर्त्ता मानते हैं। यह शायद सत्य भी है। मानव ने भाषा बोलने से पहले संकेतों का इस्तेमाल किया होगा और वे इशारों में ही बाते करते होंगे। जिन चीजों के बारे में वे बता नहीं पाए उनके लिए उन्होंने संकेतों को चुनने का निर्णय लिया। कुछ लोगों का मानना है कि जुआन पाबलो द बोनेट ने सांकेतिक भाषा को खोजा। 1620 में बोनेट ने एक किताब लिखी।
विभिन्न बोलने वाली ध्वनियों के लिए इसमें इशारे दिए गए। सांकेतिक भाषा का दुभाषिए भी इस्तेमाल करते हैं। जो बोली गई बातों का अनुवाद उन लोगों के लिए करते हैं जो सुन नहीं सकते। सांकेतिक भाषा कई क्षेत्रों जैसे समाचार चैनलों इत्यादि में भी इस्तेमाल में लाई जाती है । कुछ लोगों ने इसके आसान होने और दिलचस्पी को वजह से भी इसे सीखा है। जुलाई 2010 में नासा के अंतरिक्ष यात्री ट्रेसी काल्डबैल डायसन ने उस समय इतिहास रच डाला जब उन्होंने इंटरनैशनल स्पेस सैंटर को एक नई भाषा दी। वहां से भेजे 6 मिनट के एक वीडियो में उन्होंने सीधे तौर पर विश्व भर के बधिर लोगों के साथबात की और इसके लिए उन्होंने अमरीकी सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल किया।
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