आइए जाने लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का इतिहास।
हमारा देश विश्व का सबसे विविधतापूर्ण देश है। यहां हजारों भाषाएं, अलग-अलग संस्कृति के लोग बसते हैं फिर भी भारत दुनिया भर में एकता की मिसाल है। आजादी के बाद हमारे देश को एकजुट करने में लौह पुरुष के नाम से विख्यात सरदार वल्लभ भाई पटेल का अमूल्य योगदान रहा। इसी की याद में उनकी जन्म तिथि 31 अक्तूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनकी 144वीं जयंती के अवसर पर 2014 से हर वर्ष 31 अक्तूबर को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन लोग रन फॉर यूनिटी नामक मैराथन में भी भाग लेते हैं।
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वल्लभ भाई पटेल 31 अक्तूबर 1875 में गुजरात 3 के नडियाड में एक जर्मीदार परिवार में पैदा हुए। वह अपने पिता झवेरभाई पटेल और माता लाडबाई के चौथे बेटे थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल के पिता एक किसान थे , वह कृषि का कार्य करते थे। वल्लभ भाई पटेल ने अपनी बचपन की शिक्षा एक गुजराती मीडियम स्कूल में की थी। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजी मीडियम स्कूल में दाखिला ले लिया था। उन्हें स्कूली शिक्षा पूरी करने में काफी वक्त लगा था। वर्ष 1897 में 22 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी 10वी की परीक्षा पास की। फिर 1913 में वल्लभ भाई पटेल ने इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई पूरी की और भारत लौट कर वकालत की।उन्होंने अंग्रेजो के सभी प्रस्तावों को ठुकरा दिया क्युकी वह उनके कानून को पसंद नहीं करते थे।
अहमदाबाद में एक सफल वकील के तौर पर काम करते समय वल्लभ भाई पटेल महात्मा गांधी के एक लेक्चर में शामिल हुए और वही से उनके विचारों से प्रभावित होकर उनका अनुयायी बनने का फैसला किया। उन्होंने अंग्रेजो तथा सामाजिक अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए काफी प्रयास किए। उन्होंने आजादी के संघर्ष में अनेक आंदोलनों में हिस्सा लिया और कई बार जेल भी गए। आजादी के बाद वह भारत के गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री बने और देश की अलग अलग रियासतों को भारत में मिलाने का चुनौतीपूर्ण कार्य सफलतापूर्वक किया।ऐसा होता तो आज भारत के कई टुकड़े होते। 15 दिसंबर, 1950 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया।
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