आईए जाने चाय का इतिहास क्या है और इसकी खोज कैसे हुई ?
आज के समय में लगभग सभी लोग चाय पिते ही है पर किसी को यह नहीं पता है की आखिर चाय कि शुरआत और खोज कैसे हुई ?
चाय इस समय संसार का सबसे ज्यादा पिया जाने वाला पेय है आज लगभग सभी देशों में चाय एक पेय के रूप में उपयोग में लाया जाता है प्राचीन पुस्तकों से ज्ञात होता है कि चाय चीन कि देन है तथा चाय के पौधों का जन्म चीन में हुआ था।
चीन में चाय का उपयोग बहुत पहले से हो रहा है पर इसकी खेती बाद में शुरू हुई चाय की खेती शुरू होने के पहले यह जंगलों में उगती थी दुर्गम घाटियों और पहाड़ियों पर उन दुर्गम स्थानों तक पहुंचना मनुष्य के बस की बात नहीं थी। तब उनके लिए चाय बंदर तोड़ा करते थे यह तो सभी को मालूम है की बंदर स्वभाव से नकलची होते है बस उनकी इसी आदत का फायदा मनुष्यो ने उठाया।
जिन दुर्गम स्थानों पर मनुष्य नहीं पहुंच पाता वहां बंदर आसानी से पहुंच जाते थे तो इस ओर से लोग बंदरो की ओर लकड़ियों कि टहनियां फेकते तो बंदर उसकी जगह चाय की टहनियां तोड़कर फेकते , इस तरह मनुष्यो को चाय प्राप्त होती थी। कहीं-कहीं तो इस कार्य के लिए बंदरो को प्रशिक्षित भी किया जाता था।
इसी तरह धीरे-धीरे मनुष्य ने चाय के पौधे के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर इसे स्वयं ही उगाना सीख लिया। चाय के पौधे पहाड़ी ढलानों पर लगाए जाते थे इसके पौधे को वैज्ञानिक भाषा में कैमेलिया कहते है
एक पेय के रूप में चाय कि पहचान सन् 350 ई. में हुई। एक प्राचीन पुस्तक के अनुसार चाय कि पत्तियों को उबालकर पेय प्राप्त किया जाता था। चीन से चाय सन् 590 के आसपास जापान पहुंची तथा जापानियों ने इसे बेहद पसंद किया। चाय की पत्तियों से बनाए पेय में सुस्ती हटाने के गुण पाए जाते है तथा इस गुण के लिए जिम्मेदार है चाय की पत्तियों में पाए जाने वाले पदार्थ टैनिन और कैफ़ीन इसी गुण के कारण प्राचीन समय में चाय को दवा के रूप में पिया जाता था।चाय सन् 1825 में आई थी। भारत में असम,दार्जिलिंग तथा नीलगिरी आदि स्थानों पर चाय उगाई जाती है।
आज के समय में भारत चाय का प्रमुख उत्पादक तथा निर्यातक देश है। चाय की लोकप्रियता का श्रेय इसके गुणों को जाता है ,शायद यही कारण है कि चाय आज हर जुबान पर चढ़ गई है तथा दुनिया का सबसे चहेता पेय है।
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