मौसम विज्ञान (Meteorology) में career कैसे बनाए ?
मौसम विज्ञान विज्ञान कि वह शाखा है जो वायुमंडल और महासागरों के कारण आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के बारे में अग्रिम जानकारी प्रदान करती है। जलवायु परिवर्तन की सटीक जानकारी हमें कई प्राकृतिक आपदाओं से बचाती है जिनमे तूफान ,बर्फबारी ,अत्यधिक गर्मी ,अत्यधिक ठंड ,सुनामी आदि शामिल है।
इस क्षेत्र में बुनियादी जरूरतें :-
मेटेओरालोजी में भविष्य बनाने के लिए उम्मीदवारों को थर्मामीटर, सिस्मोमीटर , हाइग्रोमीटर ,एनोमोमीटर ,कैल्कुलेटर , उपग्रह ,रडार जैसे भौतिकी उपकरणों के साथ निपटना पड़ता है।आजकल अधिक सटीक जानकारी के लिए कंप्यूटर मॉडलिंग का उपयोग भी किया जाता है।इसीलिए इन उपकरणों की ओर आकर्षित होना और सांख्यिकी विश्लेषण के प्रति रुझान इस क्षेत्र में भविष्य के निर्माण के लिए बुनियादी आवश्यकताएं है।
👉------>> इस तरह से पता चलता है कि मौसम कैसा रहेगा ?
क्या अध्ययन कर सकते है :-
मौसम विज्ञानी बनने के लिए, किसी को आमतौर पर जलवायु या उसके किसी करीबी विज्ञान में डिग्री की आवश्यकता होती है। डिप्लोमा इन मेटेओरॉलोजी में 10वीं पास जबकि साइंस स्ट्रीम में 12वीं या अंडरग्रैजुएट कोर्स करने के लिए डिप्लोमा इन मेटेओरॉलोजी आवश्यक है (समयावधि : 3-4 वर्ष)।
बी.एससी./बी.टैक ( मेटेओरॉलोजी ) करने के लिए JEE main/एडवांस्ड जैसी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा या राज्य स्तर की इंजीनियरिंग परीक्षाएं पास करनी पड़ती हैं | वहीं 12वीं कक्षा में नॉन मैडिकल विषय में 50 प्रतिशत अंक होने चाहिएं। M.Sc/M.Tech में प्रवेश पिछली पात्रता / प्रवेश परीक्षा के आधार पर लिया जा सकता है। कुछ संस्थान 'GATE' के आधार पर भी M.Sc/M.Tech में दाखिला देते हैं । स्नातक में कम से कम न्यूनतम अंक 50 % होने चाहिएं।
डिप्लोमा इन मेटेओरॉलोजी :-
डिप्लोमा इन मेटेओरॉलोजी के लिए आवश्यक योग्यता B.Sc इन मेटेओरॉलोजी कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होनी चाहिए। यह पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला द्वारा संचालित एक वर्ष के डिप्लोमा कोर्स है।
मौसम विज्ञान में पीएच.डी :-
मेटेओरालोजी में डॉक्ट्रेट के लिए आवश्यक योग्यता M.Sc./M.Tech मेटेओरॉलोजी कम से कम 50 % अंको के साथ पास कि होनी चाहिए। इसके अलावा, आपने UGC , NET परीक्षा भी उत्तीर्ण की होनी चाहिए।
विशेषज्ञता :-
मौसम विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए मेटेओरॉलोजी का क्षेत्र बहुत बड़ा है। यदि इसमें विशेषज्ञता की बात करें तो इसकी बहुत-सी शाखाएं हैं, जिनमें से आप अपनी रुचि के अनुसार जलवायु विज्ञान, कृषि मौसम विज्ञान, वैमानिकी मौसम विज्ञान, भौतिक मौसम विज्ञान और अंतरिक्ष मौसम विज्ञान आदि में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं।आप अपनी रुचि के अनुसार इन क्षेत्रों में कार्य कर सकते हैं, जैसे कि अनुसंधान,शिक्षण या मौसम विज्ञान संबंधी पेशेवर सेवाएं प्रदान करना।
अध्यापन का क्षेत्र :-
पीएच.डी. होना बेहतर है। मेंटओरॉलोजी सेवाएं प्रदान करने के लिए किसी भी कंपनी या संगठन से जुड़कर काम शुरू किया जा सकता है। समुद्र विज्ञान में सहायक प्रोफैसर, एग्रो मेटेओरॉलोजी में सब्जैक्ट मैटर स्पैशलिस्ट, एटमॉस्फेरिक साइंटिस्ट-न्यूमेरिकल वैदर प्रीडिक्शन, एनवायरनमैंटल प्लानर, कम्युनिकेशन इंजीनियर, मेटेओरॉलोजिस्ट, सीनियर कंसल्टैंट जैसी नौकरियां इस क्षेत्र में उपलब्ध हैं ।मीडिया से लेकर बड़ी फर्मों, जैसे कि मौसम विभाग, इसरो, सैन्य क्षेत्र , बड़ी फर्मों, बड़ी निर्माण कम्पनियों, निजी मीडिया हाउसिंग, टी.वी./रेडियो, नासा, सुरक्षा क्षेत्र, समाचार चैनलों, प्रदूषण नियत्रण बोर्डो आदि के लिए सेवाओं कि आवश्यकता होती है।
कोई भी बड़ा निर्माण करने से पहले इनकी राय मांगी जाती है। यहां तक कि देश में चुनाव की तारीखें तय करने से पहले चुनाव आयोग द्वारा इनकी सेवाएं ली जाती हैं | कृषि अपशिष्टों को जलाने से होने वाले स्मॉग के अध्ययन में मेटेओरॉलोजिस्ट की बहुत बड़ी भूमिका है।
भारतीय मौसम विभाग :-
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का एक हिस्सा है, जो इस क्षेत्र में शिक्षा और रोजगार के लिए एक प्रमुख क्षेत्र है। यह मौसम विज्ञान संस्थान के छह विश्व स्तरीय केंद्रों में से एक है, जिस कारण यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा से गुजरना निश्चित है । तकनीकी सहायक (समूह ए और बी), वरिष्ठ तकनीकी सहायक, वैज्ञानिक, सहायक वैज्ञानिक (कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से), सीनियर रिसर्च फैलो आदि के लिए आबेदन किए जा सकते हैं।
अनुसंधान और वैज्ञानिक :-
रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान (डी.आर.डी.ओ. ),
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो),
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी.एस,आई.आर. ),
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ( आई.सी.ए.आर),
भारतीय वायु सेना,
राष्ट्रीय रिमोट सैंसिंग एजैंसी
आदि वैज्ञानिक के तौर पर अनुसंधान और अनुप्रयोग के लिए अपार संभावनाएं प्रदान करती हैं। कृषि विश्वविद्यालयों और पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त सार्वजनिक क्षेत्र के कई अन्य विश्वविद्यालय हैं जो मेटेओरालोजी में रोजगार/अध्ययन प्रदान करते हैं।
मेटेओरॉलोजी के क्षेत्र के बढ़ते महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल 23 मार्च को 'विश्व मेटेओरॉलोजी दिवस' के रूप में मनाया जाता है ताकि मानवता को अपनी सुरक्षा और कल्याण के लिए मेंटेओरॉलोजी के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके।
2004 के अंत में दक्षिण भारत में सुनामी से हुई तबाही को कौन भूल सकता है? इसके विपरीत हाल के कुछ चक्रवातों से देश को किसी भी तरह के बड़े जान-माल के नुक्सान से बचा कर विज्ञान ने खूब वाहवाही भी लूटी है। मौसम की पूर्व सूचना देने वाला एक अलग विभाग है जिसे मौसम विभाग कहते हैं तकनीकी रूप से इसे 'मेटेओरॉलोजी' कहा जाता है
0 Comments
If you have any doubt then you can comment us