इस तरह से पता लगता है मौसम (weather) कैसा रहेगा ?


इस तरह से पता लगता है मौसम कैसा रहेगा ?

weather forecast

  पृथ्वी पर वातावरण में मौसम दिन प्रतिदिन बदलता रहता है। प्रतिदिन हमे अखबार , रेडियो , टेलीविजन तथा इंटरनेट इत्यादि से मौसम का पूर्वानुमान यानी पहले ही पता चल जाता है।

  मौसम विशेषज्ञ वर्षा, तूफान या गरज के साथ छींटे पड़ने की सम्भावना के बारे में अनुमान बताते हैं। क्या आप जानते हैं कि किस तरह से यह जानकारी प्राप्त की जाती है और हमें पहले ही कैसा पता चल जाता है कि कल या आने वाले कुछ दिनों तक मौसम कैसा रहने वाला है ? वैज्ञानिको को मौसम संबंधी भविष्यवाणी करने से पूर्व बहुत-सी बातों का अध्ययन करना पड़ता है। दरअसल,मौसम के बारे में भविष्यवाणी करना मौसम के व्यवहार के अध्ययन, जिसे मौसम विज्ञान का नाम दिया जाता है, से प्राप्त जानकारी का सही ढंग से उपयोग करना है।

Weather forecast

 

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  मौसम मुख्यतः: वातावरण पर निर्भर करता है अर्थात दबाव, हवाओं की दिशा,आर्द्रता, आसपास का तापमान, बादलों की बनावट, वर्षा, हिमपात आदि। मौसम की भविष्यवाणी के लिए विभिन्‍न एजैंसियों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जानकारी जुटाई जाती है और विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इससे तालमेल बैठाया जाता है।इसके तीन चरण हैं : 

(1) अवलोकन (जानकारी प्राप्त करना), 

(2) विश्लेषण (जानकारी का अध्ययन) 

(3) भविष्यवाणी

अवलोकन या 'ऑब्जर्वेशन' में शामिल हैं हर पल मौसम पर नजर रखना तथा भूकेंद्रों, गुब्बारे उड़ा कर तथा उपग्रहों का इस्तेमाल करके मौसम संबंधी आंकड़े इकट्ठे करना। विश्लेषण में सूचना का राष्ट्रीय केंद्रों पर समन्वय किया जाता है तथा मौसम के नक्शों एवं चार्ट्स के रूप में बांटा जाता है।फिर भविष्यवाणी में भविष्य के मौसम के बारे में 'साइनाप्टिक मैथड' द्वारा भविष्यवाणी की जाती है जिसमें भविष्यवक्ता अपने पुराने मौसम संबंधी आंकड़ों तथा वर्तमान स्थिति संबंधी अनुभवों का इस्तेमाल करता है। विभिन्न तरीकों से एकत्र आंकड़ों का कम्प्यूटर इन केंद्रों पर विश्लेषण करता है। सुपर कम्प्यूटर के इस क्षेत्र में आ जाने के कारण मौसम की भविष्यवाणी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं।

Weather thermometer

  'एनेमोमीटर' नामक एक उपकरण की सहायता से हवा की रफ्तार तथा दिशा मापी जाती है जबकि 'हाइग्रोमीटर' नामक उपकरण का इस्तेमाल हवा में आर्द्रता मापने के लिए किया जाता है। वर्षा मापक वर्षा को मापते हैं जबकि 'सनशाइन रिकार्ड्स' सूर्य की रोशनी की अवधि मापते हैं।

   'मैक्सिमम-मिनिमम थर्मामीटर' दिन के 24 घंटों के दौरान विभिन्न तापमानों की जानकारी देते हैं। वातावरणीय दबाव को 'बैरोमीटर' की सहायता से मापा जाता है।वातावरणीय दबाव में अचानक आने वाली गिरावट किसी तूफान या चक्रवात का संकेत होता है। दबाव में धीरे-धीरे आने वाली गिरावट संकेत होती है कि आर्द्रता में वृद्धि तथा वर्षा हो सकती है। वातावरणीय दबाव में वृद्धि आगे अच्छे मौसम की पूर्वसूचक होती है।


 


 

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