आइए जाने Mirror ( दर्पण ) में हमें अपनी छवि बिल्कुल सही कैसे दिखाई देती है ?
हमने देखा है कि जब हम आइने में देखते है तो वह बिल्कुल सीधा दिखाई देता है लेकिन किसी शब्द को देखे तो वह बिल्कुल उल्टा दिखाई देता है ऐसा कैसे होता है आइए जाने कैसे ?
रोशनी ऊर्जा की एक किस्म है और साथ ही इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन कि भी । जब चीजों पर रोशनी पड़ती है तो वे दिखने लगती है और रोशनी में से कुछ या सारी प्रतिबिंबित होती है यह रोशनी सीधी रेखा में प्रति सेकंड 30 करोड़ मीटर की रफ्तार पर आगे बढ़ती है जब रोशनी किसी सतह से टकराती है तो यह उस सतह से उसी कोण पर प्रतिबिंबित होती है जिस कोण पर यह उससे टकराती है।
जब रोशनी कि किरण किसी वस्तु से टकराती है तो इसका कुछ हिस्सा प्रतिबिंबित हो सकता है इसका कुछ हिस्सा अवशोषित कर लिया जा सकता है और कुछ उस वस्तु में से पार गुजर सकता है रोशनी की किरण अधिकतर सतहों से हर ओर प्रतिबिंबित होती है मगर दर्पण व अन्य चिकनी तथा चमकदार सतहों से रोशनी की सभी किरणे ठीक उसकी तरीके से वापस लौटती या प्रतिबिंबित होती है जिस तरह से वे उन तक पहुंचती है परिणामस्वरूप दर्पण में हमें बिलकुल सही छवि दिखाई देती है।
शांत पानी से भी रोशनी कि किरणे उसकी प्रतिरूप में वापस प्रतिबिंबित या बिल्कुल सही दिखाई देती है जब पानी चल रहा या गतिमान होता है तो उसमें लहरे बनती है और परिणामस्वरूप रोशनी कि किरणों के विभिन्न कोणों पर प्रतिबिंबित होने से छवियां भी जगमग करती दिखाई देती है दर्पण तथा ठहरे शांत पानी जैसी सपाट सतहों पर रोशनी की किरणे तथा उनका प्रतिबिंब समांतर रहते है।
विभिन्न माध्यमों में से रोशनी अलग अलग रफ्तार पर गुजरती है हवा के मुकाबले यह पानी में धीमी रफ्तार से यात्रा करती है इसीलिए जब रोशनी कि किरणे पानी में दाखिल होती है ,उनकी रफ्तार धीमी हो जाती है और वे टेढ़ी हो या झुक जाती है इस टेढ़े होने तथा धीमे होने को अपवर्तन कहते है ।
इस अपवर्तन के कारण ही कई बार स्विमिंग पूल तथा नदिया आदि वास्तविक से कम गहरे दिखाई देते है और जब पानी में छड़ी डुबोई जाए तो वह टेढ़ी या टूटी हुई नजर आती है इसी वजह से हमें अपनी छवि बिल्कुल सही दिखाई देती है।
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