भूकम्प और ज्वालामुखी क्या हैं
पृथ्वी की पपड़ी ठोस प्लेट्स से बनी है। यह 'एस्थेलोस्फीयर' पर तैरती हैं जो तरल अवस्था में होने के कारण निरंतर गतिशील रहती है।इस कारण पपड़ी की प्लेट्स एक-दूसरे के साथ टकराती या रगड़ती रहती हैं जिससे पृथ्वी की सतह पर बड़े भौगोलिक बदलाव आते हैं। इसी घटना के परिणामस्वरूप द्वीप व पर्वत अस्तित्व में आते हैं, भूकम्प आते हैं तथा ज्वालामुखी फूटते हैं और महाद्वीप अपनी स्थिति बदलते रहते हैं। प्रारंभिक चरणों में पृथ्वी महाद्वीपों में विभाजित नहीं थी। लगभग 25 करोड़ वर्ष पूर्व यह जमीन का एक ही डुकड़ा थी। अपनी गतिशीलता के कारण ही प्लेटें एक-दूसरे से अलग हुईं तथा महाद्वीप अस्तित्व में आए।
कक्षा में लबलीन ने टीचर से पूछा, मैम, कल रात लगभग 9 बजे, हमने अचानक एक जोरदार झटके का अनुभव किया, आप बता सकती हैं कि वह क्या था? मैम ने समझाया, 'लवलीन, जिस जोरदार झटके का तुम्हें अनुभव हुआ,उसे भूकम्प कहते हैं । अब मैं तुम्हें इस घटना को वैज्ञानिक तरीके से समझाती हूं। पृथ्वी की पपड़ी धूल, चट्टानों तथा पर्वतों से ढकी है । यह पृथ्वी की ठोस परत बनाती है। यद्यपि पपड़ी पर कुछ स्थान ऐसे हैं, जो मजबूती से आपस में नहीं जुड़े हैं। ऐसे स्थानों पर, जब सतह के नीचे ठोस प्लेटें एक-दूसरे के साथ रगड़ खाती हैं, इससे पपड़ी के कुछ हिस्से पर गतिशीलता पैदा हो जाती है। इसी को हम भूकम्प कहते हैं।
राकेश ने पूछा, मैम, भूकम्प में तो बहुत-से लोगों की जान चली जाती है। मैम ने कहा, 'राकेश, इसे इस तरह से कहना बेहतर होगा कि भूकम्प में बहुत-से लोग मारे जाते हैं लेकिन सीधे तौर पर नहीं। ये प्राकृतिक आपदाएं होती हैं। मौतें आवासीय परिसरों, भवनों, पुलो तथा अन्य ढांचों के गिरने से होती हैं भूकम्प के दौरान गैस व रसायनों के रिसाव के परिणामस्वरूप अग्निकांड होते हैं और जिंदगियों तथा संपत्ति के बड़े नुक्सान का कारण बतते हैं।
अब मैम ने बच्चों से पूछा, क्या आप जानते हैं कि अन्य प्राकृतिक आपदाएं क्या हैं ? रजनी ने उत्तर दिया, मैम, अन्य प्राकृतिक आपदाएं, हैं ज्वालामुखी,भूस्खलन, हिमस्खलन, सूखा तथा बाढ़ । मैम ने खुश होकर कहा, बहुत बढ़िया रजनी, तुमने बिल्कुल सही कहा।तुमने समाचार या डिस्कवरी चैनल देखने के दौरान ये सभी प्राकृतिक आपदाएं अवश्य देखी होंगी। मगर क्या तुम्हें पता है कि ज्वालामुखी किसे कहते हैं ?
सुनिधि ने उत्तर दिया, हां मैम,मैंने पहाड़ों को इनके केंद्र में बने एक छेद से लाल रंग का गर्म पदार्थ, गर्म गैसें तथा पत्थर फैंकते देखा है। मैम ने बताया, हां, मगर ज्वालामुखी वास्तव में पर्वत नहीं होते। पर्वत ऐसे विस्फोटों की एक श्रृंखला के बाद बनते हैं। गर्म सामग्री ठंडी होकर पहाड़ का रूप ले लेती है। जब पृथ्वी की भीतरी परत की प्लेटें एक-दूसरे से रगड़ खाती हैं, पृथ्वी की परत के कुछ हिस्से कमजोर बन जाते हैं। ऐसे स्थानों पर पपड़ी में दरारें बन जाती हैं। मैंटल (पृथ्वी के केंद्र व पपड़ी के बीच वाला हिस्सा) से गर्म पिघला हुआ लावा दबाव के साथ इन दरारों से बाहर फूट पड़ता है। यह अपने साथ राख, गर्म गैसें, पत्थर तथा भाप भी लाता है।पिघला हुआ लावा धीरे-धीरे ठंडा हो जाता है, जिससे ज्वालामुखी पहाड़ बनते हैं। मैग्मा वास्तव में चट्टानें होती हैं, जो अत्यंत गर्मी के कारण पिघली होती हैं। जब मैग्मा पृथ्वी की सतह से बाहर आता है तो इसे लावा कहा जाता है।
कुछ तथ्य
1) 1906 में, जब कैलिफोर्निया में सान एंड्रियास फॉल्ट (जहां उत्तरी अमरीकी प्लेट प्रशांतीय प्लेट से मिलती है, दो प्लेटों के बीच इस संकरी दरार को फॉल्ट कहा जाता है) 6.5 मीटर खिसका, परिणामस्वरूप भीषण भूकम्प आया, जिसने सान फ्रांसिस्को के अधिकतर हिस्से को तबाह कर दिया।
2) समुद्र तल के नीचे आने वाले भूकम्प लहरें पैदा करते हैं,जो 30 मीटर से अधिक ऊंचाई तक उठ सकती हैं। ऐसी विशाल लहरों को सुनामी कहा जाता है।
3) बहुत-से सक्रिय ज्वालामुखी प्रशांत महासागर के किनारों के साथ-साथ जमीन पर पाए गए हैं। इन ज्वालामुखियों को सामान्यतः रिंग ऑफ फायर कह दिया जाता है।
4) विश्व का सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी हवाई में मौना लोआ है। यह समुद्र स्तर से 4170 मीटर ऊंचा है और जब इसे समुद्र तल से मापा जाए तो इसकी उचाई 9000 मिटर से अधिक है।


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