तारीफ होने पर होश न खोएं
जब आप सफल होने निकले हैं तो जाहिर है कि आप समाज में सभी के साथ बड़ा अच्छा व्यवहार कर रहे होंगे जिसके फलस्वरूप थोड़े सफल होते ही लोग आपकी तारीफ करना शुरू कर देंगे। ऐसे अवसरों से रूबरू होना भी एक कला है लोगों से अपनी तारीफ सुनते ही आप खुद अपने गुणगान न करने लगे।शिष्टाचार के नाते केवल विनम्रता जताते हुए एक-दो वाक्य ही बोलें। अच्छा यही है कि केवल शुक्रिया अदा करें। जब भी आपकी तारीफ हो तो आप इस बात का जरूर उल्लेख करें कि आपकी सफलता के पीछे कौन-कौन हैं।
आभार जताना अपने आप में एक अच्छा गुण है।ऐसा करके आप छोटे नहीं होते, बल्कि समाज की निगाहों में आपका कद बड़ा ही रहेगा। लोग यही कहेंगे कि इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद भी इसको घमंड नहीं है क्या यह कम है। ज्यादातर लोग तो अपनी तारीफ सुनते ही अपने कार्यों का गुणगान स्वयं ही करने लगते हैं,यानी अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने की आदत से सबके बीच अपनी जग हंसाई कराते हैं। नतीजा यह होगा कि सफलता की राह पर आपके कदम लड़खड़ाने लगेंगे जो नहीं होना चाहिए। यह हमेशा याद रखें कि जब तक आपसे विशेष रूप से निवेदन नहीं किया जाए तब तक अपनी उपलब्धियों का की बखान न करें। यदि आप अपनी तारीफ सुनने की कला से परिचित हैं तो जैसे जैसे समय गुजरेगा वैसे वैसे आपकी तारीफ होती जाएगी और यही सफलता के लिए नए-नए रास्ते खोलेगी और जल्द ही आप कामयाबी की नई ऊंचाइयों को छू लेंगे।
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